Priyanka Singh’s Film  Acid  Inspires Change In Society And Thinking

Priyanka Singh’s Film Acid Inspires Change In Society And Thinking

January 6, 2020 Off By admin

समाज और सोच में बदलाव लाने को प्रेरित करती है प्रियंका सिंह की फिल्म “एसिड”

फिल्म समीक्षा

फिल्म: एसिड: एस्टाउंडिंग क्रेज इन डिस्ट्रेस

निर्देशक: प्रियंका सिंह

रेटिंग्स: 3.5 स्टार्स

देश की लड़कियों के चेहरे पर तेजाब फेंकने जैसी सामाजिक बुराई पर बेस्ड फिल्म एसीआईडी: एस्टाउंडिंग क्रेज इन डिस्ट्रेस इसी सप्ताह रिलीज़ हुई है। रियल-लाइफ एसिड अटैक पर बेस्ड इस फिल्म को नवोदित डायरेक्टर-प्रोड्यूसर प्रियंका सिंह ने बनाया है। इस मूवी में एसिड अटैक की शिकार लड़की ‘रुहाना’ का लीड रोल भी उन्होंने ही निभाया है। फिल्म 3 जनवरी को देशभर में स्क्रीनशॉट मीडिया और एंटरटेनमेंट ग्रुप द्वारा रिलीज हो गई है।

जाहिर है कि दीपिका पादुकोण स्टारर फिल्म छपाक से इसकी तुलना की जा रही है मगर इसका ट्रीटमेंट अलग है और इसे बेहद रियलिस्टिक ढ़ंग से बनाया गया है। मेघना गुलज़ार की छपाक जहां एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की स्टोरी है वहीं प्रियंका सिंह की एसिड भी यूपी के एक रियल-लाइफ इंसिडेंट पर आधारित है, जहां एक यंग लड़की पर तेजाब से हमला किया गया था। इस मूवी को देखने के बाद यह एहसास होता है कि इसे बनाने का उद्देश्य केवल एक सिनेमा बनाना नहीं है बल्कि इस सामाजिक बीमारी को लेकर देश और समाज में एक बहस शुरू करना है।

प्रियंका सिंह ने अपने निर्देशन का हुनर दिखाते हुए इस फिल्म के सीन्स को नाटकीय नहीं किया है बल्कि इसे रियलिस्टिक ढ़ंग से शूट किया है। इस फिल्म के जरिए इस तरह का खौफनाक क्राइम करने वालों के दिमाग में झांकने का भी प्रयास किया है।

एसिड के को-प्रोड्यूसर मान सिंह ने इस फिल्म में निगेटिव रोल भी किया है। यह मूवी पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं का संघर्ष दिखाती है। यह फिल्म किसी एक लड़की के बारे में नहीं है,बल्कि यह तमाम औरतों का दर्द दर्शाती है।

रांची की रहने वाली प्रियंका सिंह ने इसमें एसिड पीड़िता का रोल किया है।प्रियंका ने फिल्म में अभिनय के साथ ही निर्देशन भी किया है। इस फिल्म में एसिड अटैक पीड़िता की कहानी देखते हुए लोगों की रूह तक कांप जाती है। ऐसी कहानी को पर्दे पर पेश करना प्रियंका के लिए बड़ा चैलेंज था लेकिन लखनऊ की एसिड पीड़िता रुहाना की जिंदगी पर आधारित इस रोल को प्रियंका ने बड़ी शिद्दत से निभाया है। प्रियंका ने इस रोल को निभाने के लिए काफी तैयारी की है। उन्होंने कई एसिड पीड़िताओं के साथ समय गुजारा है, उनकी कहानी और दर्द को महसूस किया है।
 

फिल्म में विलेन बिलाल को दिखाया गया है जो एसिड फेंकता है। किस तरह की संकीर्ण मानसिकता ऐसे लोगों को अपराधी बनाती है। अपनी छोटी सोच और झूठी शान की खातिर वे रूहाना जैसी लड़कियों की जिंदगी बर्बाद कर देते हैं। इस मानसिकता को यह फिल्म जड़ से खत्म करने का मैसेज देती है। फिल्म यह भी सन्देश देती है कि उन बेटियों को हौसला और सहारा भी देना चाहिए जो इस जख्म से निकलकर अपनी जिंदगी में एक मुकाम बनाने के लिए और अपना हक हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही हैं। फिल्म यह बात कहती है कि बुरी मानसिकता और गंदी सोच को समाप्त करने के लिए समाज के हर व्यक्ति को आगे आना होगा।

इस फिल्म को देश-विदेश के फिल्म फेस्टिवल में सराहा गया है और अब सिनेमाघरों में भी दर्शकों से बेहतर रिस्पॉन्स मिल रहा है। फिल्म एक बार अवश्य देखनी चाहिए।

रेटिंग्स 3.5 स्टार्स।